“आप तो फकीर हैं। फिर गृहस्थों जैसे कपड़े क्यों पहन रखे हैं?” -सूफी फकीर ने नानकदेव से पूछा।
नानक ने कहा- ‘‘परमात्मा वेश और आश्रम नहीं देखता। वह देखता है अन्तःकरण।’’
----***----