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October 1978

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“आप तो फकीर हैं। फिर गृहस्थों जैसे कपड़े क्यों पहन रखे हैं?” -सूफी फकीर ने नानकदेव से पूछा।

नानक ने कहा- ‘‘परमात्मा वेश और आश्रम नहीं देखता। वह देखता है अन्तःकरण।’’

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