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August 1976

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सर्व त्यागश्च निर्वाणं निर्वाणार्थीच में मनः त्यक्तव्यं चेन्मना सर्वं वरं सत्वेणु दीयलाम् ।।

मेरा मन मोक्ष चाहता है। मोक्ष क्या है? सर्वस्व का त्याग ही मोक्ष है। हे मन! यदि एक दिन यहाँ सब कुछ को छोड़कर ही चले जाना है तो जो कुछ भी तेरे पास है उसे अभी निम्न कल्याण के लिए क्यों नहीं दे दिया जाय? जिससे सहज ही में मोक्ष प्राप्त हो जावें।


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