इस वर्ष फिर महिला सम्मेलनों की योजना गत वर्षों की भाँति ही चलेगी। देव-कन्याओं के जत्थे 15 सितम्बर से भेजे जायेंगे और आयोजनों की शृंखला 15 जून तक चलती रहेगी। इन 9 महीनों में गत वर्ष से कम नहीं, वरन् अधिक ही आयोजनों की सम्भावना है।
गत वर्ष रुक-रुककर आयोजनों की माँगें आती रहीं और बीच-बीच में इधर-उधर से काट-छाँट करके जितना सम्भव था उतना पूर्ति के लिए प्रयत्न किया गया। फिर भी उलट - पुलट में - व्यवस्था में - भारी असमंजस उत्पन्न होता रहा। इस वर्ष वैसी पुनरावृत्ति न होने पावे इसलिए जहाँ भी इन आयोजनों की माँगें हों उन्हें इसी मास आमन्त्रित किया जा रहा है। अगले महीने पूरे वर्ष के लिए कार्यक्रम निर्धारित कर दिये जायेंगे और देव-कन्याओं की मोटरें यथासमय वहाँ जा पहुँचेंगी। बीच में माँग करने वालों को इस वर्ष कोई अवसर नहीं दिया जायेगा। पूरे वर्ष में जितने कार्यक्रम सम्भव होंगे उनकी स्वीकृति इन्हीं दिनों दे दी जावेगी, ताकि सम्मेलनों के प्रबन्धकर्त्ता समय रहते अपनी समुचित तैयारी कर सकें।
गत वर्ष के महिला सम्मेलनों ने जो नव-जागरण का कीर्तिमान स्थापित किया है उससे स्वभावतः पुराने स्थानों और नई शाखाओं का उत्साह इस वर्ष भी होना स्वाभाविक है। इन पंक्तियों द्वारा इतना ही अनुरोध किया जा रहा है कि जहाँ यह आयोजन होने हैं वहाँ के निमन्त्रण समय रहते-यथा सम्भव इसी महीने हरिद्वार पहुँच जाने चाहिए। इस वर्ष बीच के किसी महीने की माँग पर विचार कर सकना या काट-छाँट करके आग्रहों के लिए अवसर निकाल सकना सम्भव न होगा। देर में निमन्त्रण देने और स्वीकृति प्राप्त करने की गड़बड़ी में गत वर्ष जो अड़चन खड़ी होती रही है उसकी पुनरावृत्ति इस वर्ष नहीं की जाएगी।
पूरे देश में जहाँ भी महिला सम्मेलन होंगे उनका निर्धारण अगले ही महीने हो जायगा। अस्तु उचित यही है कि जहाँ देव-कन्याओं के जत्थे बुलाये जाने हैं वहाँ की शाखाएं अपना आमन्त्रण भेजते हुए इस बात का भी संकेत कर दें कि उन्हें किस महीने में सुविधा रहेगी। चूँकि कार्यक्रम एक क्रम-चक्र के आधार पर बनेंगे, इसलिए माँगे हुए महीने में ही तारीखें दिये जाने की बात तो नहीं कही जा सकती, पर यथासम्भव प्रयत्न यही किया जायेगा कि जहाँ जिस महीने में सुविधा है वहाँ उसी को ध्यान में रखते हुए प्रोग्रामों का निर्धारण किया जाय।
----***----