पर्यटकों एवं दर्शनार्थियों के ठहरने की शान्ति कुञ्ज में तनिक भी व्यवस्था नहीं है। वे धर्मशाला में ठहरें और मध्याह्न बारह से दो के बीच में मिलने आयें। आश्रम सदा शिक्षार्थियों से भरा रहता है और इन दो घण्टों के अतिरिक्त गुरुदेव का शेष समय भी उसी में व्यस्त रहता है।