Quotation

March 1974

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देव तुल्य विद्वानों, घर के बूढ़ों, संन्यासियों, अतिथियों और मानवता की सहानुभूति के पाँच मनुष्यों की जो ठीक प्रकार से सेवा करता है, वही मनुष्य संसार में यशस्वी होता है।


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