Quotation

March 1974

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सर्वव्यापी अनन्त चेतन में समभाव से स्थित आत्मा वाला तथा सब में समभाव देखने वाला योगी ही आत्मा को सम्पूर्ण भूतों में और सम्पूर्ण भूतों को आत्मा में देखता है। यही योग दृष्टि है।


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