मनुष्य सो गया है। उसे जगाया जाना जरूरी है। वह सोया ही नहीं, पशुत्व की ओर वापिस भी लौट रहा है। उस पर ऐसा चाबुक बरसाने की जरूरत है कि एक बार चीख उठे। इसके बाद उसे प्रेम से सराबोर चुंबन भी दिए जाने चाहिए। डरना नहीं चाहिए कि उसे चोट लगेगी। अगर यह चाबुक प्रेम में सने होंगे तो वह उनके निशानों को देखकर अनुभव और स्वीकार करेगा कि वह इसी के लायक था।
जब वह लज्जित और दुखी हो तो उस पर चुंबनों की वर्षा की जानी चाहिए। इसी प्रकार उनका पुनर्जन्म होगा।
—गोर्की