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Akhand Jyoti
Year 1972
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June 1972
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मानव मानवता से छोटा है। —थेडोर पार्कर
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Page Titles
जीवन की मूल प्रेरणा— कर्त्तव्य, कर्त्तव्य
प्रायश्चित्तो परावसुः
अज्ञानबंधन काटें— उन्मुक्त जीवन जिएँ
भगवान ईशु
ईश्वरप्राप्ति के लिए उपासना आवश्यक
क्षुद्रता छोड़ें— महानता की ओर बढ़ें
जल में रहकर भी उससे दूर
शरीर और मन को प्रभावित करने वाला जीवन-रस— हारमोन
यदि जीवन में बुद्धिमानी की कोई बात है
सिद्धि और सिद्धपुरुषों का स्तर
संत दादू को सीख (कहानी)
प्रेम और आत्मीयता का प्राणीमात्र पर प्रभाव
सच्चे अधिकारी
अनीति से समझौता नहीं
श्री रामकृष्ण परमहंस की सारगर्भित शिक्षाएँ
दरिद्र सेवा ही सच्ची सेवा है
रक्त-परिवर्तन एक अद्भुत, किंतु आवश्यक प्रक्रिया
प्रजापति की व्यथा (कहानी)
मृत्यु के लिए पहले से ही तैयारी करें
असंभव को संभव करने वाली महाशक्ति
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शीत की शक्ति समझें और उससे लाभ उठाएँ
विरानों को प्यार— अपनों का तिरस्कार, ऐसा क्यों?
भावनात्मक चेतना— जीवन की सर्वोपरि सत्ता
मंत्रों की चमत्कारी शक्ति के दो उद्गम स्रोत
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मनुष्य की समझदारी और नासमझी
कर्मफल की सुनिश्चितता समझें
समस्त सफलताओं का हेतु— मन
असली और नकली चमत्कारों का अंतर समझें
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अतींद्रिय ज्ञान की पृष्ठभूमि हर मस्तिष्क में मौजूद है
अदूरदर्शितायुक्त बुद्धिमत्ता— मूर्खता से भी बुरी
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पृथकता छोड़ें— सामूहिकता अपनाएँ
व्यक्तिवाद की तुच्छता छोड़कर समूहवाद की महानता का वरण
नारी अकेले ही सृष्टिक्रम चला सकती है
तुम्हारे स्वर्ग की अपेक्षा मुझे अपना यह मृत्युलोक प्रिय है
कुंडलिनी के षट्चक्र और उनकी सामर्थ्य
प्यार की फटकार (सदुक्ति)
अपनों से अपनी बात— महानता प्राप्त करने की दिशा में एक चरण आगे बढ़ाएँ
युगनिर्माण योजना (Kahani)
दिव्य सत्ता की झाँकी (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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