संत दादू अपने गृहस्थ जीवन में दुकान चलाते थे। एक दिन वे हिसाब में व्यस्त थे। वर्षा हो रही थी। थोड़ी देर में जब सिर उठाया तो उनने अपने गुरुदेव को दुकान के सामने पानी में भीगते हुए खड़ा देखा।
दादू जी हड़बड़ाकर उठे, दुकान में भीतर लाए और उनकी ओर ध्यान न जाने के लिए क्षमा माँगी। गुरुदेव ने कहा—"बेटा! तूने मुझे तो देखा, भगवान तो कब से तेरे दरवाजे पर खड़ा है। तू उसे क्यों भीतर नहीं बुलाया?" बात चुभ गई। दादू संत बने और उनने गुरुदेव की तरह भगवान को भी अपने घर में बुलाकर दम लिया।