सच्चे अधिकारी

June 1972

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

एक अधेड़ दंपत्ति रात को आँधी-तूफान और मूसलाधार वर्षा के बीच फिलाडेल्फिया के एक होटल में पहुँचे और ठहरने के लिए स्थान माँगा। होटल पूरा भरा हुआ था। कहीं तिल रखने की जगह नहीं थी। मालिक ने अपनी असमर्थता प्रकट करके छुट्टी ले ली।

घोर शीत और वर्षा की इस भयानक रात में दंपत्ति एक कोने में सिकुड़े हुए खड़े थे। रात कहाँ कटे, कुछ सूझ नहीं पड़ रहा था।

होटल के एक कर्मचारी ने बिस्तर में पड़े-पड़े यह दृश्य देखा। वह बाहर निकला और उस दंपत्ति को अपनी छोटी-सी कोठरी में टिका दिया। स्वयं किसी प्रकार इधर-उधर खड़ा, टहलता रात काटता रहा।

सवेरा हुआ तो दंपत्ति उस कर्मचारी की उदार सज्जनता के लिये धन्यवाद देते हुए चले गए। इस कृपा का पुरस्कार देने का भी उनने प्रयत्न किया, पर उस कर्मचारी ने इसे मनुष्यता का फर्ज बताया और उसका मूल्य लेने से इनकार कर दिया।

कुछ ही दिन बाद उस कर्मचारी को न्यूयार्क से बुलावा आया। चिट्ठी के साथ हवाई जहाज का टिकट भी था। कर्मचारी पहुँचा, हवाई अड्डे पर स्वागत के लिए वह दंपत्ति खड़े थे, जिन्हें उसने अपनी कोठरी में टिकाया था। वे थे— न्यूयार्क के करोड़पति ‘विलियम वालडोर्फ’।

उन्होंने एक नया शानदार होटल बनाया था। उसका बड़ा मैनेजर उस कर्मचारी को नियुक्त किया गया। वालडोर्फ ने कहा—"आपकी जैसी सज्जनता से संपन्न व्यक्ति ही बड़े जनसंपर्क वाले कार्य को सँभालने के सच्चे अधिकारी हो सकते हैं।"



<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118