शोक में, आर्थिक संकट में या प्राणान्तकारी भय उपस्थित होने पर जो अपनी बुद्धि से दुख-निवारण के उपाय का विचार करते हुए धीरज धारण करता है, उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता। —वाल्मीकि