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November 1971

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शोक में, आर्थिक संकट में या प्राणान्तकारी भय उपस्थित होने पर जो अपनी बुद्धि से दुख-निवारण के उपाय का विचार करते हुए धीरज धारण करता है, उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता। —वाल्मीकि


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