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Akhand Jyoti
Year 1971
Version 2
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November 1971
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प्रतिशोध और सहनशीलता से हम प्रेम को ईश्वर के समकक्ष पहुँचा सकते हैं। -महात्मा गाँधी
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Page Titles
महाशून्य की यात्रा
काकवृत्ति बनाम हंसवृत्ति
अपने को जानें, भवबंधनों से छूटें
नियमों के पालन से आत्मसंयम और अनुशासन की शिक्षा मिलती है
सद्वाक्य
आश्चर्यों से भरी ईश्वरीय सत्ता
स्वामी रामतीर्थ
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बौद्धिक क्षमता का भण्डागार ऋतम्भरा का क्रिया-व्यापार
अत्याचारी शासक एक चीते से अधिक भयंकर होता है
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सच्ची सेवकाई
प्रेम का आरंभ होता है, अंत नहीं
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जीव ब्रह्म कैसे बनता है ?
स्वप्न-दर्पण अतींद्रिय जगत के प्रतिबिंब
बुढ़िया की सीख
विचार शक्ति (मंत्र शक्ति) द्वारा पदार्थ का हस्तान्तरण
अपराधों के पश्चाताप
पाण्डित्य से बड़ा चरित्र
सदाचरण ही कल्याण का एकमात्र मार्ग
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300 वर्ष आयु के श्री तैलंग स्वामी
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चींटियों की चतुराई आत्मतत्त्व की गहराई
वीर बालक
उपभोगार्थी-उपयोगार्थी
नारी को स्वतंत्रता मिले, साथ ही दिशा भी
ब्रह्माण्ड में हम अकेले नहीं
सिडनी केस- फ्रैंक कुक तक
गुरुदेव के उपकार की स्थूल निशानी है
पेट या मालगाड़ी का इंजन
श्री आद्य शंकराचार्य के कुण्डलिनी अनुभव
संघर्ष, प्रलय, महासंघर्ष और फिर एक नया युग
जेन-एडम्स
अपनों से अपनी बात
सुख के छलावे— लक्ष दुख में याद आवें
हृदय का हिमालय पिघलने लगा (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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