शिल्पी और उसकी कला, आपस में ही उलझ पड़े। शिल्पी से कला बाली-मेरे ही कारण तुम्हारा नाम संसार में अमर रहता है। अतः मैं तुम से श्रेष्ठ हूँ।”
शिल्पी का कहना था-मैं तेरा जन्मदाता हूँ। मेरे ही कारण तुझे अमरत्व प्राप्त होता है। अगर मैं न होऊँ, तो तेरी अभिव्यक्ति कौन करे? अतः मैं तुझसे श्रेष्ठ हूँ।”
विवाद बड़ी देर तक चलता रहा कोई हार मानने को तैयार न हुआ। तभी पास पड़ा हुआ पत्थर का टुकड़ा बोल उठा-बावलों! क्यों झगड़ते हो आपस में? मेरे बिना-न तो तुम्हारी भावाभिव्यक्ति भी नहीं हो सकती है शिल्पी! और कला बहन! तुम भी तो आकार मुझ से पाती हो। अतः मैं तुम दोनों से श्रेष्ठ हूँ।”