असंभाव्य का संभव होना ही ईश्वर की उपस्थिति का प्रमाण है, समर्थ गुरु रामदास ने अपने शिष्यों को समझाया पर उनकी समझ में यह बात आई नहीं। रामदास उन्हें लेकर एक स्थान में गये, जहाँ कुछ मजदूर पत्थर तोड़ रहे थे। एक मजदूर ने घन चलाकर एक बड़े पत्थर को जैसे ही तोड़ा तो सब लोग यह देखकर अवाक् रह गये, उसके भीतर जहाँ हवा भी न जा सकती थी-पानी भी है और एक मेंढक भी। उन्हें सब बात समझ में आ गई।