गोपालकृष्ण गोखले

November 1969

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

गाँधी जी के राजनैतिक गुरु देशप्रिय गोपालकृष्ण गोखले बचपन में बहुत गरीब थे। जैसे तैसे स्कूल की शिक्षा समाप्त करने के बाद जब कालेज की पढ़ाई का समय आया तो खर्च का प्रश्न उपस्थित हुआ। गोखले के बड़े भाई गोविन्दराव को अपने छोटे भाई की योग्यता और प्रतिभा पर पूरा विश्वास था। उन्होंने कहा-मैं मेहनत-मजदूरी करके भी छोटे भाई को अवश्य पढ़ाऊंगा।” बड़े भाई की पत्नी ने देवर के लिये अपने गहने तक बेचकर प्रारम्भिक फीस आदि का प्रबन्ध किया और उन्हें राजाराम कालेज कोल्हापुर में दाखिल कर दिया।

बड़े भाई गोविन्दराव उस समय 15 रुपये प्रतिमास कमाते थे। उसमें से 7 वे छोटे भाई को मासिक खर्च के लिये नियमित रूप से भेज देते थे। गोखले इन रुपयों में बड़ी किफायत से अपना निर्वाह करते थे। बी. ए. हो जाने पर गोखले जी को 35 रुपये मासिक पर एक स्कूल में अध्यापक की नौकरी मिल गई। इस वेतन में से ते प्रतिमास 2 रुपये अपने भाई को नियमित रूप से भेजने लगे। वे जीवन भर अपने भाई भाभी के त्याग और उपकार को नहीं भूले थे। ऐसे थे गाँधी जी के गुरु श्री गोपालकृष्ण गोखले।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles