आप तो ब्रह्म को बड़ा बताते हैं, महात्मन् फिर मनुष्यों की सेवा करने को क्यों कहते हैं? एक जिज्ञासु ने दीर्घतमा से पूछा? महर्षि ने गंभीर भाव से कहा-”इसीलिये कि उसमें परमात्मा का वास है।”