ईरानी शासक डार यबहुत से हुये युद्ध में भी सिकन्दर विजयी हुआ। इस विजय के साथ-साथ सिकन्दर को बहुत-सा धन स्वर्ण मुद्रायें और हीरे जवाहरात भी मिले।
अभी वह बहुमूल्य वस्तुयें सम्राट् सिकन्दर को भेंट दी ही आ रही थी कि एक सैनिक अधिकारी ने आकर लूट में मिली एक पेटी उपहार में दी। यह स्वर्ण जड़ित पेटी उन सब वस्तुओं से सुन्दर और आकर्षक थी। सिकन्दर में उसे अपने पास रख लिया।
प्रश्न उठा इसमें रखा क्या जाये? ‘हीरा’- किसी ने कहा। दूसरे ने सुझाया- सम्राट् के वस्त्राभूषण। तीसरे ने कहाँ इसमें राज्य-कोष की चाबियां रखी जाये? सिकन्दर सब की सुनता हुआ भी चुप था। लोक कौतूहल में थे इसमें क्या रखा जाता है।
और अब सिकन्दर के निर्णय का समय आया तो उसने उसमें ‘हलिबड’ ब्रण्ड रखा जिससे सिकन्दर ने पौश्व, पराक्रम और जीवनोत्कर्ष की प्रेरणायें पाई थी। उस दिन से सिकन्दर के अधिकारी भी ज्ञान को अधिक महत्व देने लगे।