हाथ, पाँव, नाक, मुख, आंखें सब अपने-अपने महत्व के लिये झगड़ने लगे। यह देखकर मनुष्य को बड़ा गुस्सा आया। उसने खाना बन्द कर दिया। अब सब का एक ही ध्यान था, कहीं से खाना मिले तो जिह्वा रहें। मनुष्य बोला-अब समझ गये, तुम्हारा सबका महत्व तो मिलकर रहने में ही है।