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June 1964

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हमारे बारे में जो कोई ऊट-पटाँग बातें करते हैं करने दो बुरा नहीं मानना चाहिए। गिरजाघर की मीनार क्या चीलों की चीख पर ध्यान देती है। -इलियट

जिस समाज की शक्तियाँ एक दिशा में मिलकर काम करती है, जहाँ समान ध्येय, समान आदर्श परम्परा, संस्कृति, सभ्यता एक होती है वहाँ समाज जल्दी ही विकसित और समृद्धिवान हो जाता है।

हममें से प्रत्येक का ध्येय समष्टि जीवन को पूर्ण और समृद्ध बनाने का हो। समाज सेवा का ऐसा व्रत जिससे सामाजिक आदर्श श्रद्धा को बल मिले, परस्पर संघर्ष और विरह दूर होवें, समता एकता बढ़े और सभी लोग सुख, शाँति वैभव पूर्ण जीवन बितायें, लेना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर समष्टि के हितार्थ व्यक्तिगत लाभ का त्याग करने में भी न चूकें हम।


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