अवतारों की पलटन

February 1942

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(पाठक बुद्धि पर जोर दें और सोचें)

हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, बौद्ध तथा अन्यान्य धर्म ग्रंथों से विदित होता है कि सम्वत् 2000 के लगभग कोई अवतार होने वाला है। इस अवसर से लाभ उठाने के लिये अनेकों व्यक्ति लालायित हो रहे हैं। ढोंग का दुनिया में बोल-बाला है। बहुत से कलियुगी कृष्ण और मसीह बरसाती मेढ़कों की तरह उपज कर टर्राने लगे हैं। इन अवतार वेष धारियों में हर एक अपने को बड़ा साबित करने की कोशिश कर रहा है।

दर्जनों मुसलमान अब तक अपने को कृष्ण होने की घोषणा कर चुके हैं। हैदराबाद के मौलाना मोहम्मद सद्दीक दीनदार अपने को कल्कि अवतार बताते हैं। इस संबंध में उन्होंने एक पुस्तक ‘सरबरे आलम’ भी प्रकाशित की है। सर आगा खाँ को उनके अनुयायी हिन्दू-मुसलमान कल्कि अवतार मानते हैं, इस संबंध में गुजराती में बहुत सा साहित्य छपा है। पिछले कुम्भ के मेले पर लाहौर के एक खाँ साहब ने खूब पर्चेबाजी की थी और लाहौर का पता छपाते हुए बताया था कि यही मुसलमान सज्जन कल्कि अवतार हैं, अब हिन्दुओं को इन्हीं का कहना मानना चाहिये। दिल्ली में एक मुसलमान शंकर अवतार होकर प्रकट हुआ था उसने गौ-माँस खाना पुण्य घोषित किया था, जनता के विरोध करने पर इसे दिल्ली से हटाया गया था। मेहर बाबा के अवतार होने की बात प्रसिद्ध है, साँईखेड़ा के धूनी वाले दादा के संबंध में ‘प्रमाण केशव’ नामक पुस्तक छपी है। जिसमें उनको कल्कि बताया गया है। थियोसोफिकल सोसाइटी की ओर से प्रचार किया जाता है कि महाशय कृष्णमूर्ति में हजरत ईसा की आत्मा है। कलकत्ता के प्रसिद्ध गोविन्द भवन के महन्त श्री हीरालाल जी गोयन्दा का अपने को कृष्ण बता कर लोगों के साथ खूब रास रंग करते थे। पीछे किसी ??? के सतीत्व भंग का भंडा-फोड़ हुआ। सिन्ध की ओम् मण्डली के कर्त्ता दादा लेखराज अवतार बशर्ते उन्होंने अनेक स्त्रियों को पतियों से अलग करा के अपनी सेवा में रख छोड़ा है। इस प्रकार न जाने कितने सज्जन कल्कि अवतार बने फिर रहे हैं।

इसके अलावा अवतार के चेला-चाँटों की तो बरात ही घूम रही है। धौलपुर के एक बाबा जी को अवतार सभा का प्रेसीडेन्ट और देवर्षि नारद का अवतार कहा जाता है। इटावा जिले के एक गाँव में रहने वाले कोई पारसनाथ नागी सज्जन अपने को अवतार का प्रधानमंत्री लिखते हैं और प्रहलाद का अवतार होने की घोषणा करते हैं, इनके प्रतिद्वन्द्वी एक और प्रहलाद जन्मे हैं यह बाबा सुलतान सिंह नामक पंजाबी साधु हैं। अच्छा हो इन दोनों में से एक सज्जन किसी और का अवतार बन जायं जिससे आपस का झगड़ा आपस में ही निपट जाय।

साढ़ौरा (अम्बाला) निवासी श्री बधावाराम जी सैनी कहते हैं कि जब मैं रेलवे में गार्ड था तो भगवान ने एक दिन मेरा रूप बना कर गाड़ी चलाई ये कहते हैं कि अमुक दिन भगवान जन्म लेंगे और मैं पुरुष से स्त्री शरीर बदल कर ‘राधा’ बन जाऊंगा वह तिथि निकल चुकी है पर यह सज्जन अभी जैसे के तैसे बैठे हैं। मुहल्ला खखरा पीलीभीत के श्रीयुत् भगवानदास जी कायस्थ दिव्य-वाणी नामक पर्चा बाँटते थे कि अवतार हो गया। फजलकों (पंजीकरण) के पण्डित राजनारायण शास्त्री ने छपाया था। सम्भल में सम्वत् 1981 में कल्कि भगवान जन्म चुके हैं। परशुराम जी उन्हें शस्त्र विद्या सिखाने के लिये महेन्द्र पर्वत पर उठा ले गये हैं, अब वे सम्वत् 1999 में ऋषियों सहित बंगाल में प्रकट होंगे। स्वामी प्रणवानन्द के सम्बंध में एक पुस्तक छपी कि ‘भगवान स्वयं श्री स्वामी प्रणवानन्द के शरीर में अवतीर्ण हुए हैं। श्री कमल मुनि कहते हैं कि मुझे कल्कि भगवान ने दर्शन दिया है। श्रीमती गंगा बाई का कथन है कि मैं अवतार को देख चुकी हूँ। अभी इसी आश्विन कृष्णा 30 को कुरुक्षेत्र सूर्य ग्रहण के मेले में अनेक सज्जन यह घोषणा करते पाये गये कि वे स्वयं अवतार हैं या अवतार से उनका कुछ संबंध है। प्रयाग के इसी कुँभ में कई अवतारधारियों के एजेंटों के अड्डे पहुँचे थे।

ऊपर कुछ थोड़े से उदाहरण जो हमने सुने हैं, लिखे हैं। इसके अतिरिक्त हर जगह तलाश करने पर अवतार या उसका भाई, भतीजा मिल सकता है। पाठकों को बुद्धि पर जोर देकर सोचना चाहिये कि यह सब अवतार कैसे हो सकते हैं। यदि कदाचित अवतार हो भी गया तो इनमें से एक ही होगा यह सारी की सारी पलटन कैसे हो सकती है। यदि एक सच भी बोलता हो तो बाकी सब झूठे ठहरते हैं। इस संबंध में कुछ निर्णय करने से पूर्व अखण्ड ज्योति के पाठकों को जरा बुद्धि पर भी जोर देना चाहिये।


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