सुन्दरी आकृति सुन्दर मुँह की अपेक्षा सुन्दर है। किन्तु सद्व्यवहार सुन्दर आकृति से भी अच्छा है। वह मूर्तियों और चित्रों से भी अधिक आनन्द देता है यह सारी ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ठ कला है।
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अपने शरीर मन्दिरों में परमात्मा को अधिष्ठित करो।