हमारे जीवन के वह क्षण बड़े सुखमय होते हैं, जब हम एकान्त में विद्वानों के साथ संभाष करते हैं। अर्थात् पुस्तकें पढ़कर शान्ति और आनन्द प्राप्त करते हैं। सम्बन्धी और मित्र जब दुःख में साथ छोड़ देते हैं, तब ग्रन्थ ही सच्चा साथ देते हैं।