Quotation

June 1941

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विचार माला प्रत्येक कार्य की जननी है एवं चित्त की एकाग्रता या चित्त संयम उसका स्वामी है। इसलिये प्रत्येक प्राणी अपने विचार और कर्मों को सदैव ध्यान से देखे।

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कटु संभाषण रूपी कंकण अपने हृदय कोष से निकाल फेंको, यदि तुम्हारी इच्छा संसार को अपने ऊपर मोहित करने की और जगत के लोगों को अपने वश में करने की है।

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कार्य ही संसार का सार है, कार्य करने से ही कीर्ति प्राप्त होती है।


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