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July 1941

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अपने परिश्रम से महत्ता और उपयोगिता प्राप्त करके महान और उत्तम बने हुए पुरुषों के जीवन चरित्र का अवश्य अभ्यास करना चाहिए। ऐसे अभ्यास से प्रोत्साहन और उच्च विचार प्राप्त होते हैं।

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दूसरों से प्रेम करना अपने आपसे प्रेम करना है।

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जिसकी इच्छा शक्ति प्रबल है, उसके लिये कोई बात असंभव नहीं है।

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आशा, विश्वास और उन्नति शीलता से विघ्न बाधा सदा दूर रहते हैं और उपस्थित कठिनाई भी हार मान लेती है।

कथा-


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