व्यर्थ की बकवाद

July 1941

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(श्री स्वेट मार्डन)

छोटे और मामूली कार्यों के लिए हम बड़ी भूमिका बाँधते हैं और बहुत समय खर्च करते हैं। फलस्वरूप अधिक खर्च में थोड़ा लाभ मिलता है यदि व्यर्थ की बकवाद छोड़ कर संक्षेप में अपना कार्य करना सीखें तो अपने और दूसरे की समय की बहुत बचत कर सकते हैं और लाभ अधिक पकड़ सकते है।

साइरस फील्डस अपने मित्रों से कहा करते थे। समय अमूल्य है। ठीक वक्त पर काम करना, संक्षेप में काम निकालना और ईमानदार रहना जीवन के यज्ञ तीन कुंजी हैं। जो कुछ आपको कहना हो संक्षेप में कहिए। वे कहते थे-”कभी लम्बी चिट्ठियाँ मत लिखें काम काजी आदमियों को फुरसत नहीं रहती। कोई भी बड़ा काम ऐसा नहीं है जो एक कागज पर न लिखा जा सकता हो। एक बार मैंने इंग्लैंड के राजा को पत्र लिखा जो बहुत बड़ा था। मैंने सोचा इतने लम्बे पत्र को वे कैसे पढ़ेंगे, मैंने उसमें से अनावश्यक शब्द छाँटने शुरू किए

और उसे बहुत छोटे बना लिया। उस पत्र का संतोष जनक उत्तर भी आया। यदि पत्र लम्बा होता तो वह शायद यों ही रद्दी की टोकरी में पड़ जाता।”

ए. टी. स्टुवर्ट कहता था समय ही मेरी संपत्ति है। उसके दफ्तर में कोई मनुष्य बिना कारण बताये प्रवेश नहीं कर सकता था। जो उसके सामने पहुँचते उसे संक्षेप में बातचीत करनी पड़ती। क्योंकि उनके पास एक क्षण भी व्यर्थ खोने के लिए न था। स्टुवर्ट के इन्हीं नियमों के कारण आपने व्यापार में इतनी उन्नति कर ली थी कि उसके प्रतिद्वन्द्वी व्यापारी आश्चर्य करते थे।

स्टील का कथन है-’जब किसी से केवल स्पष्ट सत्य ही कहना है तो वह थोड़े में कह सकता है लोग-लपेट के लिए ही बकवाद की जरूरत पड़ती है। साउद ने कहा है-तेज होना चाहते हो तो संक्षेप को स्वीकार करो। सूर्य की किरणें एक बिन्दु पर एकत्रित होकर आग लगा सकती हैं।


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