दुर्भाग्य छोटे हृदय को दमन कर अपने वश में कर लेता है, परन्तु विशाल हृदय उस पर विजय पाकर खुद से दवा देते हैं।
असफलता के पश्चात् हमें उसी तरह उठकर कार्य करना चाहिए, जैसे पहिले करते थे, सफलता की कुँजी यही है।
हास्य रस हृदय में आनन्द की धारा ही प्रवाहित करके नहीं रह जाता दिल की गाँठों को भी खोलता है।