समय का आदर करो।

December 1941

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राष्ट्रपति वाशिंगटन ठीक चार बजे भोजन करते थे। उन्होंने कांग्रेस के नये सदस्यों को एक दावत दी, सदस्य-गण कुछ मिनट बाद पहुँचे तो उन्होंने देखा कि राष्ट्रपति भोजन कर रहे हैं। उन्हें बड़ा संताप हुआ। यह देख कर वाशिंगटन ने कहा-’मेरा रसोइया आगन्तुकों की नहीं घड़ी की प्रतीक्षा करता है।’ एक बार उनके सेक्रेटरी कुछ देर से पहुँचे और घड़ी के बंद होने का कारण बताते हुए क्षमा माँगने लगे। वाशिंगटन ने कहा-’महाशय या तो आप दूसरी घड़ी बदलिये वरना मुझे दूसरा सेक्रेटरी बदलना पड़ेगा।’

नेपोलियन समय का बड़ा पाबंद था, एक बार उसने अपने एक सेनापति को भोजन के लिये बुलाया किन्तु वह देर से पहुँचे। नेपोलियन खाना समाप्त करके उठ ही रहे थे कि वह आ गया। उसको देखकर नेपोलियन ने कहा- ‘भोजन का वक्त समाप्त हो गया। चलिये अब आगे का काम शुरू करें। नेपोलियन का कहना है कि -पाँच मिनट का मूल्य न समझने के कारण ही आस्ट्रेलियन लोग हार गये इसी तरह उसके पतन और वाटरलू की हार का मुख्य कारण कुछ घड़ियों की देर ही थी। ग्राडच समय पर नहीं आया और उसके लिये नेपोलियन को ठहराना पड़ा, बस, इतनी सी चूक के कारण नेपोलियन कैद करके सेन्ट हेलेना के टापू पर भेज दिया गया।

सर वाल्टर स्काट ने लिखा है -’जो काम करना हो उसे शीघ्र कर डालना चाहिये। उचित समय पर ठीक काम करने की आदत बड़ी ही मूल्यवान है। काम करने के पश्चात् आराम करो, आराम के लिये काम को आगे के लिये मत टालो,” होरेस ग्रीले का कथन है- “समय का अर्थ है पैसा। जो व्यक्ति मेरा एक घंटा बर्बाद करता है, मै समझता हूँ कि उसने मेरे पाँच डालर छीन लिये।” कावेट ने अपने आत्म चरित्र में बताया है कि-”मेरी सफलताओं का असली कारण मेरी योग्यता नहीं, तत्परता है। जो काम मुझे करना होता है, उसके लिये एक घण्टा पहले से ही तैयार होता हूँ। कभी किसी व्यक्ति को मेरे लिये इन्तजार नहीं करता पड़ा।” मेरिया एजवर्थ का कथन है कि- “वर्तमान क्षणों के बराबर और कोई शक्तिशाली वस्तु नहीं है। जो मनुष्य अपने इएमों को काम में नहीं लाता और भविष्य के लिये मनसुब बाँधा करता है, वह उन कामों को कभी पूरा न कर सकेगा।” रश्किन कहता है- ‘हमारा हर एक घण्टा भाग्य का निर्माण करता है जिसने अपने काम करने के दिन यों ही बिता दिये वह पछताने के अलावा और क्या करेगा? लोहा ठंडा हो जाने पर घन पटकने से क्या लाभ होगा? लाफोन्प्टेन का उपदेश है कि “दौड़ना बेकार है। महत्व की बात तो यह है कि समय पर निकल पड़ो।” शेक्सपियर कहता है-”आज का दिन आलस्य में गँवा दोगे तो कल भी वही दशा होगी, फिर और अधिक सुस्ती आवेगी।”

कई बार तो ऐसी घड़ियाँ होती हैं, जिन्हें हम पहचान नहीं पाते और योंही गंवा देते हैं, फलस्वरूप पीछे पछताना पड़ता है। स्टेशन पर पहुँचते हैं, तो देखते हैं कि चन्द मिनट पहले रेल चली गई। डाकखाने पहुँचते हैं, तो मालूम होता है कि डाक चला गई। एक रेल चलाने वाले की घड़ी जरा सुस्त हो जाती है, फलस्वरूप दो रेलें लड़ जाती हैं और अनेक जीव नष्ट हो जाते हैं। एक ऐजेन्ट रुपया भेजने में देरी करता है, उधर व्यापारी का दिवाला निकल जाता है। सीजर को राजसभा में एक खबर पहुँचाने में देर हो गई, जिससे उसे अपनी जान गँवानी पड़ी। कर्नल राहल को एक पत्र मिलता है, वह ताश के खेल में व्यस्त होने के कारण उस पत्र को जेब में डाल लेता है। खेल खत्म करके जब पत्र को पढ़ता है तब वे घड़ियाँ निकल जाती हैं, जिन में वह अपनी जान बचा सकता था। कुछ ही मिनटों में दुश्मन की फौज आ घेरती है और कर्नल को अपने साथियों सहित मौत के घाट उतरना पड़ता है।

सबेरे देर तक सोते रहना एक बहुत बड़ा दुर्गुण है। कोई भी महान् व्यक्ति प्रातःकाल की स्वर्णिम घड़ियों को व्यर्थ नहीं खोता। रूस का सम्राट् ‘पीटर दी ग्रेट’ मुँह अँधेरे उठ बैठता था। वह कहता था ‘मैं अपने जीवन की यथाशक्ति बढ़ना चाहता हूँ, इसलिए कम सोता हूँ। इसी प्रकार ‘अलफ्रेड दी ग्रेट’ बड़े तड़के उठते थे। कोलम्बस कहता है-”मैंने अमेरिका यात्रा की योजनाएं प्रभात काल में बनाई।” कोपरनिक्स ने आकाशस्थ ग्रहों का अनुसंधान इन्हीं क्षणों में किया। नेपोलियन कहता है-’मैंने अपनी बड़ी बड़ी सफलताओं की सारी तैयारियाँ सूर्योदय से पूर्व की हैं।’ विद्वान वेकृर चाय पानी के वक्त तक दर्जनों पत्र लिख डालता था।

युवकों! सबेरे जल्दी उठो और आज का काम आज कर डालो। कोई घड़ी व्यर्थ मत गँवाओं। तुम समय का आदर करोगे, तो दुनिया तुम्हारा आदर करेगी।


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