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December 1941

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मर्यादा और लज्जा किसी अवस्था-भेद से प्रादुर्भूत नहीं होते। अपने कर्तव्य का भली भाँति पालन करो, इसी में सच्ची मर्यादा का वास है।

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सत्य और प्रेम इस संसार की सबसे शक्ति शाली वस्तुएँ हैं, जिस घड़ी यह दोनों साथ-साथ रहते हैं सरलता से इनका निवारण नहीं किया जा सकता।

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जो लोग दूसरों के जीवन को प्रसन्न बनाते हैं, वे अपने जीवन को प्रसन्नता से दूर नहीं रख सकते।


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