सामूहिक विचारों की शक्ति

December 1941

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जब कई मनुष्य बैठकर आपस में किसी विषय पर विचार विमर्श करते हैं और उनके मत आपस में मिल जाते हैं, तो एक ऐसी प्रचण्ड शक्ति उत्पन्न होती है, जिसके बल पर बड़े-बड़े कठिन कार्य पूरे हो सकते हैं। किसी कारखाने के सब कर्मचारी एक भूत हों, तो समझना चाहिए कि इसकी विशेष उन्नति होगी। जिस घर के सब लोग सन्तुष्ट हों, समझना चाहिए कि यहीं स्वर्ग का निवास है। उस घर में दुःख और दरिद्र का प्रवेश शायद ही कभी हो। एकता के विचारों से जो शक्ति प्रादुर्भूत होती है, वह बड़ी ही प्रबल होती है। सत्संग की प्रथा का भारत में बड़ा महत्व है। कुछ व्यक्ति एक स्थान पर एकत्रित होकर यदि पवित्र हृदय से सत्य प्रेम, परोपकार आदि की भावनाओं पर चित्त को लगाते रहें, तो उस वायु मण्डल में एक उत्तेजक विद्युत उत्पन्न होगी, जो उन भावों को बढ़ावेगी और स्थायी बना देगी। उत्तरी अमेरिका की प्राचीन प्रथा है कि वहाँ के निवासी जब किसी युद्ध में जाते थे, तो सब योद्धा मिल कर गोलाकार खड़े हो जाते थे और एक से विचारों पर एकाग्रता करते थे, इससे इतनी वीरता का उद्भव होता था कि, वे लड़ाई को जीतने के लिए उन्मत्त हो जाते थे, और उसी वीरता के आवेश में युद्ध विजय करते थे। अच्छे भाषण कर्ता और नट पहले अपने कामों पर विचार करते हैं, तब अपना कार्य आरम्भ करते हैं, ऐसा करने से उनका भाषण या प्रदर्शन बहुत ही अच्छा बनता है। दो मित्र यदि एक स्थान पर बैठकर नियमित रूप से एक समान अच्छे-अच्छे विचारों पर मनन किया करें तो उन्हें बहुत लाभ हो सकता है। एक ही रंग-रूप की विचार-धाराएं आपस में मिलकर बलवती हो जायगी और दूने वेग से दोनों के मन में उच्च कोटि के विचार लावेंगी। इसके द्वारा वे आरोग्यता, आयुष्य और समृद्धि के परमाणुओं को आकर्षित कर सकते हैं।


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