मनुष्य की पहिचान

September 1940

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(प. मुरलीधर शर्मा)

(1) भाग्यशाली पुरुषों के पाँवों में निम्न लक्षण पाये जाते हैं (अ) पैरों में पसीना कम आता है (ब) तलवे कोमल होते हैं (स) उंगलियों के बीच में फासला कम होता है (द) नाखून लाल होते हैं (ह) एड़ियां गोल गरम और सुन्दर होती हैं।

(2) दरिद्री और दुखी लोगों के पैरों में यह लक्षण होते हैं (अ) एड़ी पतली और पंजे चौड़े होते हैं (ब) नाखून नीले या पीले होते हैं (स) उंगलियाँ सूखी तथा छितरी होती हैं।

(3) बड़े पैरों वाला अपने जीवन में बहुत चलता है।

(4) पकी मिट्टी की तरह कषाय वर्ण के तलुओं वाला धोखे बाज होता है।

(5) पीले तलवों वाला पुरुष व्यभिचारी और इन्द्रिय लोलुप होता है।

(6) जिनकी जाँघों पर रोम कम और पतले हों जिनकी जांघें गोल, हाथी की सूँड़ की तरह हो, जिनके घुटने सम बिना उभरे हों उनको पैसे का कष्ट न भोगना पड़ेगा

(7) कुत्ते के समान पतली, सियार के समान चौड़ी टाँगों वाले मनुष्य सब कामों में असफल होते हैं और सुख के स्थान में भी दुख पाते हैं।

(8) जिनके घुटनों की हड्डी उभरी होती है वह चिन्तातुर क्रोधी किन्तु दीर्घायु होते हैं।

(9) गोल और मोटे भरे हुए कूल्हे शूरवीर और साहसी लोगों के होते हैं।

(10) जिनके कूल्हे की हड्डियाँ उभरी हुई हों वह सम्पत्ति होते हुए भी सुख नहीं पाते।

(11) सूखे हुए चूतड़ों वाले अक्सर रोगी रहते हैं।

(12) भारी चूतड़ वाले मनुष्य यशस्वी, बहुत बोलने वाले और लोलुप होते हैं।

(13) सिंह सी पतली कमर वाले राजा होते हैं।

(14) बन्दर या ऊँट की सी टेड़ी कमर वाले दरिद्री होते हैं।

(15) घड़े से बड़े पेट वाले सुस्वादु भोजन पाते हैं उनकी जिन्दगी आराम से कट जाती है।

(16) जिनके पेट पर नीली नसें उभरी रहती हैं वह अजीर्ण, अरुचि और अतिसार से पीड़ित रहते हैं।

(17) जिनकी छाती, कमर और पसली बिलकुल सीधी एक लेवल में होती है वह क्षीण स्वास्थ्य वाला किन्तु दीर्घजीवी होता है।

(18) जिनका पेट साँप की तरह लम्बा होता है वह बहुत खाने वाले होते हैं, दिन भर मुँह चलाने की उन्हें इच्छा रहती है।

(19) जिनकी पसलियाँ उभरी हुई हों उन्हें शौक मौज से अरुचि होगी।

(20) फैली हुई पसलियों वाले सादा जीवन बिताते हैं।

(21) आपस में सटी हुई और माँस में भीतर दबी हुई पसलियाँ बलवान, विग्रहों और क्रूर स्वभाव वालों की होती है।

(22) गहरी नाभि वाले आनन्द मय जीवन का उपयोग करते हैं।

(23) उथली और फैली हुई नाभि चोरों की होती है।

(24) छोटी या ऊँची उठी हुई नाभि वालों से उनके स्नेही असंतुष्ट रहते हैं।

(25) जिसके पेट पर बैठते समय एक रेखा पड़ती है वह कला प्रेमी होते हैं।

(26) जिसके पेट पर दो पलेट पड़ती हैं वह बुद्धिमान व्यवसायी और परदेश में भ्रमण करने वाला होता है।

(27) पेट पर तीन पलेट पड़ने वाला संतान का दुख पाते हैं।

(28) कई टूटी हुई रेखाएं जिनके पेट पर पड़ती हैं। उनका जीवन अस्थिर और अनेक प्रकार की घटनाओं से घिरा होता है।


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