Quotation

September 1940

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

मनुष्य गलतियों से भरा हुआ है। सब में कुछ न कुछ दोष होते हैं। इसलिए दूसरों के दोषों पर ध्यान न देकर उनके गुणों को परखना चाहिए और आपस में मिल जुल कर एक दूसरे को सुधारने का उद्योग करते हुए प्रेम पूर्वक आगे बढ़ना चाहिए।

*****

जिसने ईश्वर को नहीं पहचाना उसने कुछ नहीं जाना। जिसने ईश्वर को जान लिया उसने इस संसार की जानने योग्य संपूर्ण वस्तुओं को जान लिया।

*****

दूसरों के सद्व्यवहार और सत्कार से तुम्हें कितनी हार्दिक प्रसन्नता होती है। यदि तुम भी वैसा ही सद्व्यवहार और सत्कार दूसरों के साथ करो तो दुनिया तुमसे भी संतुष्ट रहेगी।

*****

लोगों का एक दुख मिटता है तो दूसरा उन्हें आ घेरता है। सदैव कोई न कोई भय बाधा उन्हें सताती रहती है। कारण यह है कि आनन्द के मूल स्त्रोत को उन्होंने छोड़ दिया है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118