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September 1940

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निर्धनता मनुष्य के लिए बेइज्जती का कारण नहीं हो सकती यदि उसके पास वह सम्पत्ति मौजूद हो, जिसे ‘सदाचार’ कहते हैं।

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संसार में प्रतिदिन कितने जीव मरते हैं, पर उन सबके लिए तो हम नहीं रोते। रोते तो केवल उसी के लिए हैं जिसके साथ हमारी कुछ ममता रहती है। ममता मोह के कारण होती है। इसलिए सारे दुःखों की जड़ ममता को ही समझना चाहिये।

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नित्य हँसमुख रहो मुख को मलीन कभी मत करो। यह निश्चय कर लो कि चिन्ता ने तुम्हारे लिए जगत् में जन्म ही नहीं लिया। आनन्द स्वरूप में सिवा हँसने के चिन्ता को स्थान ही कहाँ है।


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