Unknown column 'navbar' in 'where clause'
तुम अपने मन में जैसे विचार करते हो वैसे ही बन जाते हो। इसलिए वैसे विचार करो जैसे कि तुम बनना चाहते हो। मन की भावनाओं का असर जीवन के कार्यों पर और उन कार्यों का असर शरीर पर पड़ता है। यदि तुम अपने शरीर को उन्नत बनाना चाहते हो, जीवन की गतिविधि में महत्वपूर्ण परिवर्तन करना चाहते हो तो पत्ते-पत्ते पर मत भटको! जड़ को तलाश करो। जीवन की सम्पूर्ण समस्याओं का आधार मन है और उस मन कार्य विचार है। छोटी परिस्थिति में हो तो भी कुछ हर्ज नहीं। विचार उच्च रखो। स्वार्थ, कपट, ढोंग और हिंसा के विचार मनुष्य के सब से बड़े शत्रु हैं, सिंह और सर्प की तरह इनसे दूर रहो।
परोपकार, प्रेम, दया और त्याग के शुभ विचारों से अपना हृदय भरपूर रक्खो। किसी की सक्रिय सहायता न कर सको तो भी दूसरों के लिये दो बूँद सहानुभूति के आँसू बहा दो। तुम्हारे विचार जितने पवित्र होते जायेंगे उतना ही हृदय विशाल बनता जायगा। तुम्हारा हृदय जितना विशाल होगा उसमें उतनी ही अधिक विभूतियाँ परमात्मा द्वारा भर दी जायेंगी।