अपने जीवन पर दृष्टि डालो। पता चलेगा कि तुम्हारे सब से अधिक सुख और प्रसन्नता के वे क्षण थे जिसमें तुमने किसी के साथ दया, सहानुभूति, प्रेम, परोपकार, एवं उदारता का व्यवहार किया था।
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जितना स्वार्थपरता को छोड़ दोगे और जितना लोभ, क्रोध, दया, घमण्ड आदि की कड़ियों को एक-एक करके तोड़ दोगे उतना ही तुम्हें त्याग का आनन्द प्राप्त होगा। उसी समय तुम्हें स्वार्थपरता और कृपणता के दुःखों का पता चलेगा।