पवित्रता की शक्ति

November 1940

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(श्रीमती - लिली एल. एलन)

वास्तविक बल और शक्ति पवित्रता में है। जिस मनुष्य के कर्म अच्छे हैं जिसने अपने मस्तक पर कलंक का टीका नहीं लगाया और जिसकी गरदन किसी के सामने शर्म से नीची नहीं होती वह सच्चा बहादुर है। ऐसे आदमी के गले में विजय माला पहनाई जायगी। उसके चेहरे के आस पास वैभव की वास्तविक आभा चमकती होगी। जिस रास्ते वह निकलेगा उसके ईंट, पत्थर तक उसका आदर करेंगे पवित्रता के बिना ऐसा व्यक्तित्व और किसी प्रकार प्राप्त नहीं हो सकता।

जो मनुष्य संसार में अपना प्रकाश करना चाहते हैं जो अपने व्यक्तित्व को उज्ज्वल और प्रकाशवान् चाहते हैं उन्हें यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि अगर वे पवित्रता से - ईमानदारी से - सचाई से डिगें और नीच कामों की ओर झुकें तो उन्हें इसका भयंकर फल भोगना पड़ेगा।

तुम निर्बल हो, निर्धन हो, विद्या और बुद्धि से रहित हो तो जरा भी मत झिझको और न इन कमियों के कारण अपने को तुच्छ समझो। अपने अंदर पवित्रता, सदाचार, ईमानदारी को धारण कर लो अपना हृदय दर्पण की तरह स्वच्छ बना लो। बस, फिर देखो कि तुम्हारे अंदर कैसा एक दैवी बल संचारित होता है। जरा, ईमानदारी के विचारों का कुछ देर चिन्तन तो करो, देखो तुम्हें कैसी शीतलता और शाँति प्राप्ति हुई मालूम होती है।

पवित्रता की शक्ति अपार है। उसका कोई अन्त नहीं। यह बल साधारण ताकत नहीं वरन् दैवी तेज है। यदि तुममें ईमानदारी की शक्ति है तो हमारी घोषणा है कि लोगों के हृदय का राज्य तुम्हारे लिए है।


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