— परम पूज्य गुरुदेव को लुधियाना (पंजाब) में सर्वधर्म सभा में ‘‘लाइट ऑफ इण्डिया’’ की उपाधि (1964) से सम्मानित किया गया।
— संस्कृति परिषद के मानद सदस्य (1976 से) से सम्मानित किया गया।
— वर्ष 1988 में स्व0 प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने सभी प्रांतीय सरकारों से आग्रह किया कि वे पता लगाएं किन स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को अब
तक सम्मानित नहीं किया गया। तब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी खोजबीन की और पाया कि एक जाज्वल्यमान सितारे को उन्होंने पहचाना तक नहीं,
जिसने यथार्थ में राजसत्ता के लिए नहीं, सच्चे अर्थों में भारत की आजादी के लिए स्वाधीनता संग्राम लड़ा। 25 अगस्त, 1988 को री हरिश्चंद्र जी,
प्रभारी जिलाधीश सहारनपुर ने स्वयं शांतिकुंज हरिद्वार पहुंचकर पूज्य गुरुदेव पं0 श्रीराम शर्म आचार्य जी को विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में
ताम्रपत्र भेंट किया। स्वाधीनता संग्राम सेनानी प्रमाणपत्र व पेंशन के परिपत्र प्रदान किए गए। पूज्य गुरुदेव ने सबका आभार माना, साथ ही उन्होंने
तत्कालीन स्वाधीनता संग्राम सेनानी पेंशन अनुसचिव श्री अंबिका प्रसाद मिश्रा जी को पत्र भी लिख—
‘‘आपकी दौड़-धूप सफल हुई। स्वतंत्रता सेनानी पेंशन पत्र आया है। हम दोनों (पूज्य गुरुदेव, वंदनीया माताजी) को रोटी, कपड़ा और मकान की
सुविधा यहां प्राप्त है। फिर अनुदान लेकर क्या करेंगे? कहीं बाहर हम लोग आते-जाते नहीं, ऐसी दशा में ‘पास’ आदि की सुविधा भी अनावश्यक है।"
पेंशन राशि 401 रुपये है। इसे आप किसी सरकारी हरिजन सहायता कोष में समर्पित करा दें। यदि ऐसा कोई कानून न हो, तो मुख्यमंत्री राहत कोष
में उसे दिला दें।’’ सभी सुविधाएं पूज्य गुरुदेव ने शासन को लौटा दी, पेंशन हरिजन फंड में दान कर दी।
— 27 जून 1991 को वंदनीया माताजी की उपस्थिति में तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम श्री शंकर दयाल शर्मा द्वारा परम पूज्य गुरुदेव की स्मृति में
एक रुपये का डाक टिकट जारी किया गया।
— भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सन् 1995 में परम पूज्य गुरुदेव की जन्मभूमि आंवलखेड़ा में कीर्तिस्तंभ को लोकार्पण किया।
— आयुर्वेद विकास हेतु राष्ट्रीय समिति के सलाहकार नियुक्त हुए। स्वास्थ्य संरक्षकों के प्रशिक्षण का दायित्व शासन द्वारा शांतिकुंज को प्रदत्त किया
गया।
— शांतिकुंज को शासन द्वारा नैतिक शिक्षा, व्यक्तित्व परिष्कार, स्काउट-गाइडिंग प्रशिक्षण हेतु मान्यता प्राप्त है।
— राष्ट्रीय जलागम परियोजना का प्रशिक्षण केंद्र भी शांतिकुंज को बनाया गया। राष्ट्र के 350 जिलों के 3600 ब्लॉक में भूमि व जल संरक्षण द्वारा
विकास के कार्यक्रमों, दीपयज्ञों के संचालन का दायित्व शांतिकुंज को सौंपा गया।
— राष्ट्रीय जलागम परियोजना का प्रशिक्षण केंद्र भी शांतिकुंज को बनाया गया। राष्ट्र के 350 जिलों के 3600 ब्लॉक में भूमि व जल संरक्षण द्वारा
विकास के कार्यक्रमों, दीपयज्ञों के संचालन का दायित्व शांतिकुंज को सौंपा गया।
— प्राकृतिक विपत्ति निवारण सलाहकार परिषद की शांतिकुंज को सदस्यता प्राप्त है।