ऋषि युग्म का परिचय

आंदोलन का कुशल संचालन

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सन् 1971 के पश्चात का समय ऋषियुग्म के लिए कड़ी कसौटी वाला था। वह समय पूज्यवर के परोक्ष रूप से कार्य करने का तथा परम वंदनीया माताजी के एक संगठक के रूप में आंदोलन का संचालन करने वाली मातृशक्ति के रूप में कार्य करने वाला समय था। सन् 1973 गायत्री जयंती से शांतिकुंज में कन्या प्रशिक्षण का शुभारंभ हुआ। इस अवधि में वंदनीया माताजी ने ‘‘नारी जागरण अभियान’’ का शंखनाद करने वाली भारत की संभवतः पहली व एकमात्र पत्रिका ‘महिला जाग्रति अभियान’ का प्रकाशन एवं संपादन गुरुपूर्णिमा सन् 1975 से प्रारंभ किया, चौबीस देव कन्याओं की संख्या कई गुना बढ़ाकर अगणित टोलियां क्षेत्रों में भेजीं। अनेक नारी जागरण मंडल अथवा शाखाएं वंदनीया माताजी के मार्गदर्शन में सक्रिय रूप से कार्य करने लगीं। विभिन्न सत्रों का संचालन, शिविरार्थियों को अपने हाथ से बना हविष्यान्न का बना भोजन कराके, माताजी ने लाखों परिजनों को अपने अंतःकरण की प्यार की सरिता में स्नान कराया। पूज्यवर बौद्धिक उद्बोधन देते, स्थूल व्यवस्था संबंधी निर्देश देते, कभी-कभी गलती होने पर कार्यकर्त्ताओं को डांट भी लगा देते, पर प्यार का मलहम माताजी द्वारा लगाया जाता था। सभी इसी प्यार की धुरी पर टिके रहे। क्रमशः परिवार बढ़ते-पढ़ते करोड़ों की संख्या पार कर गया।

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