सर्वत्र जलवर्षा के सन्तुलन के लिए-
ॐ जलबिम्बाय विद्ममहे, नीलपुरुषाय धीमहि।
तन्नो वरुणः प्रचोदयात्, स्वाहा॥
इदं वरुणाय इदं न मम॥ -व०गा०
प्राकृतिक आपदाओं एवं युद्ध में दिवङ्गत आत्माओं की शान्ति के लिए-
ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः शं नो भवत्वर्यमा। शं नऽ इन्द्रो बृहस्पतिः
शं नो विष्णुरुरुक्रमः, स्वाहा। इदं दिवङ्गतानां शान्त्यर्थं इदं न मम।
अनिष्ट निवारण के लिए-
ॐ पञ्चवक्त्राय विद्ममहे, महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्, स्वाहा। इदं रुद्राय इदं न मम॥ -रु०गा०
सविता देवता के विधेयात्मक लाभ प्राप्ति के लिए-
ॐ भास्कराय विद्ममहे, दिवाकराय धीमहि।
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्, स्वाहाः। इदं सूर्याय इदं न मम।
नोट- कर्मकाण्डों का विस्तृत स्वरूप समझने के लिए शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार द्वारा प्रकाशित कर्मकाण्ड भास्कर का सहारा लेना चाहिए।