१. परिसमूहन-
ॐ दर्भैः परिसमूह्य, परिसमूह्य, परिसमूह्य।
अर्थात्- कुशाओं से बुहार कर (गन्दगी- कचरा साफ करें)।
२. उपलेपन-
ॐ गोमयेन उपलिप्य, उपलिप्य, उपलिप्य।
अर्थात्- गाय के गोबर से लीपकर (पवित्र बनाएँ)।
३. उल्लेखन-
ॐ स्रुवमूलेन उल्लिख्य, उल्लिख्य, उल्लिख्य।
अर्थात्- स्रुवा के मूल से रेखा खींच कर (चिह्नित करें)।
४- उद्धरण-
ॐ अनामिकांगुष्ठेन उद्धृत्य, उद्धृत्य, उद्धृत्य।
अर्थात्- अनामिका एवं अँगूठे से उठाकर (मिट्टी को बाहर फेंक देंं)।
५. अभ्युक्षण-
ॐ उदकेन, अभ्युक्ष्य, अभ्युक्ष्य, अभ्युक्ष्य।
अर्थात्- उदक (जल) से सिञ्चित करके (पवित्र करें)।