तितली की भी भूख शाँत की (kahani)

May 2003

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बरसात आ गई। लगातार झड़ी लगी थी। तितली उदास बैठी थी। मधुमक्खी ने पूछा, बहन क्या बात है? ऐसे सुँदर मौसम में उदासी कैसी?

तितली बोली, मौसम की सुँदरता से पेट की भूख अधिक प्रभावित कर रही है। कहीं भोजन लेने जा नहीं सकती, इसीलिए परेशान हूँ।

मधुमक्खी बोली, बहन, ऐसे समय के लिए कुछ बचत क्यों नहीं की? कल की बात न सोचने वाले यों ही परेशान होते हैं। ऐसा समझाकर मधुमक्खी ने अपने संचित कोश में से तितली की भी भूख शाँत की।


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