दोनों की आँखों में आँसू (kahani)

May 2003

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एडीसन महान वैज्ञानिक हुए हैं। गरीब माँ के बेटे थे, पर बचपन से ही वैज्ञानिक बनने की बात किया करते थे। माँ ने सोचा, इसे किसी वैज्ञानिक के पास रख दूँ तो शायद इसका समाधान हो जाए। विज्ञान पढ़ाने की क्षमता तो उसमें थी नहीं।

एक वैज्ञानिक के पास वे एडीसन को ले गई। वैज्ञानिक ने एडीसन को एक झाडू देकर अपनी प्रयोगशाला की सफाई करने को कहा। एडीसन ने हर काम बड़े करीने से किया। कहीं कोने में भी गंदगी न छोड़ी और हर सामान सफाई के बाद यथास्थान जमा दिया।

मेरी और टॉमस का दाँपत्य जीवन अनंत प्रेम से भरा-पूरा था। हर वर्ष का विवाहोत्सव मनाते और छोटा-मोटा उपहार उस दिन एक-दूसरे भेंट करते, गरीबी में जो दिन काटते थे।

उस वर्ष का विवाह दिन फिर आया। दोनों एक-दूसरे के लिए उपहार देने की योजना बनाने लगे, पर जेबें बिल्कुल खाली थीं।

टॉमस ने पत्नी के सुनहरे बालों में लगाने के लिए एक सुनहरी क्लिप खरीदने की बात सोची। मेरी सोचने लगी, पति की हाथ-घड़ी के लिए सुनहरी चेन खरीदी जाए। दोनों के मनोरथ मन में थे। साधन जुट नहीं रहा था। दिन निकट आ गया।

टॉमस पुरानी घड़ी खरीदने वाले की दुकान पर गया और घड़ी बेचकर बदले में सुनहरी क्लिप खरीद लाया। मन में बहुत प्रसन्नता थी।

मेरी क्या करती, वह सुनहरे बाल खरीदने वाले की दुकान पर गई और अपने घुँघराले बाल कटाकर मिले पैसे से घड़ी की चैन खरीद लाई। सिर पर टोपा लगा लिया।

दिन आया, उपहार देने के लिए एक ने दूसरे की ओर हाथ बढ़ाया। क्लिप कहाँ लगे, बाल नदारद। चेन कहाँ बँधे, घड़ी गायब। पूछने पर तथ्य खुला। शोभित न हो सकने पर भी इन उपहारों ने एक-दूसरे का दिल सदा-सदा के लिए जीत लिया। दोनों की आँखों में आँसू भरे थे।

इस तरह मना वह विवाहदिवसोत्वस।


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