केंद्र के समाचार-क्षेत्र की हलचलें

May 2002

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भावभरे वातावरण में वसंत पर्व संपन्न-संगठन को साधना की धुरी पर खड़ा कर उसे व्यवस्थित, विशिष्ट एवं सशक्त बनाने के संकल्प के साथ इस वर्ष का मिशन का वार्षिक पर्व वसंत पंचमी हर्षोल्लास संपन्न हुआ। ‘भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा’ की वार्षिक सेमीनार भी 15, 13 फरवरी में आयोजित होने से सभी क्षेत्रों के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता भी इसमें उपस्थित थे। इस वसंत को जो कि परमपूज्य गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्मदिवस (17.2.22) भी था, हीरक जयंती की महापूर्णाहुति एवं संगठन-सशक्तीकरण वर्ष के शुभारंभ के रूप में मनाया गया । जनपद व जोन स्तर पर पूरा मिशन अब व्यवस्थित ढंग से सक्रिय हो जाए, इसी धुरी पर पर्व उद्बोधन भी दिया गया एवं परिपत्र भी सभी को दिया गया । प्रातः ध्वजारोहण के साथ गुरुसत्ता को समर्पित दो प्रस्तुतियों ने वासंती उल्लास का परिचय दिया। सभी परिजन पर्व पूजन के साथ संकल्पित होकर गए।

चेतना की शिखर यात्रा का विमोचन

इस वसंत पर्व (17-2-2002) पर परमपूज्य गुरुदेव की जीवनयात्रा पर डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं ज्योतिर्मय द्वारा लिखी पुस्तक ‘चेतना की शिखर यात्रा’ (परमपूज्य गुरुदेवः ऐ असमाप्त जीवनगाथा) के प्रथम खंड का विमोचन भी संपन्न हुआ । कथानक शैली में लिखी इस पुस्तक में अब तक अप्रकाशित मर्मस्पर्शी संस्मरण हैं। इसमें 1900 से लेकर 1947 तक का जीवनवृत्त है । द्वितीय खंड गायत्री जयंती (20-6-2002) तक छपकर आने की संभावना है । 408 पृष्ठ वाली जिल्ददार इस पुस्तक की कीमत 116/- है एवं यह शाँतिकुँज से डिस्काँउट के साथ रु. 80/- में उपलब्ध है।

देव संस्कृति ज्ञान परीक्षा सन् 2002 की परीक्षा-तिथियाँ घोषित

भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का नाम अब बदलकर देव संस्कृति ज्ञान परीक्षा हो गया है एवं अब यह क्रमशः देव संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय का अंग होने जा रही है । इस वर्ष की परीक्षा तिथियाँ इस प्रकार हैं-उ.प्र., उत्तराँचल, म.प्र., राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा, बंगाल-19 अक्टूबर 2002, बिहार एवं झारखंड-23 नवंबर 2002, महाराष्ट्र- 12 अक्टूबर 2002, हरियाणा,पंजाब,चंडीगढ़, जम्मू एवं हिमाचल-28 सितंबर 2002 एवं गुजरात - 20 अक्टूबर 2002। विगत वर्ष 23 लाख विद्यार्थी बैठे थे। इस वर्ष अनुमान संख्या दुगनी होने का है। परीक्षा-सामग्री जून के तृतीय सप्ताह तक केंद्र द्वारा हर जोन तक पहुँचा दी जाएगी।

छत्तीसगढ़ का गहन मंथन एवं एक महासंकल्प-पिछले दिनों फरवरी के द्वितीय सप्ताह में राजनाँदगाँव, खरियाट रोड (उड़ीसा) एवं रायपुर में हुए छत्तीसगढ़ के सोलह तथा उड़ीसा, महाराष्ट्र, म.प्र. के आठ जिलों के महासम्मेलनों में एक वृहद योजना बनाई गई। इसके अंतर्गत पूरे राज्य को चार जोनों में बाँटा गया एवं आगामी दो वर्षों में इससे लगे तीनों प्राँतों के आठ जिलों को मिलाकर एक गहन मंथन तथा जिला व जोनल समन्वय समितियों की स्थापना का एक ढाँचा विनिर्मित किया गया। बस्तर से लेकर सरगुजा एवं गोंदिया से लेकर कोरापुर तक के सभी जनपदों के परिजन इसमें उपस्थित थे। एक समृद्ध-सशक्त विराट् छत्तीसगढ़ जिसमें मिशन हर घर तक पहुँच जाए, ऐसा लक्ष्य रखा गया है।

गुवाहाटी का पूर्वोत्तर समृद्धिकरण महायज्ञ

जजफील्ड गुवाहाटी में 15 से 18 मार्च की तारीखों में पूरे पूर्वोत्तर के आठ प्राँत (आसाम,बंगाल सहित छह सिस्टर स्टेट्स) एवं नेपाल,भूटान,सिक्किम का एक भव्य आयोजन संपन्न हुआ । लक्ष्य था कि भारतीय संस्कृति शाश्वत रूप में इस सारे क्षेत्र में संव्याप्त हो, भारत की अखंडता अक्षुण्ण बनी रहे तथा सभी याजकों के संकल्प इस निमित्त हों कि वे इस क्षेत्र की समृद्धि,संस्कारीकरण एवं राष्ट्रनिष्ठा बढ़ाने में अपना पूरा योगदान देंगे। 251 कुँडी यह महायज्ञ पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ।

स्वदेशी आरोग्य मेले में शाँतिकुँज की भागीदारी

नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 7 से 12 फरवरी तक आयोजित स्वदेशी आरोग्य मेले में शाँतिकुँज ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की। इस मेले में आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, यज्ञ चिकित्सा, गौ चिकित्सा व स्वदेशी स्वावलंबन पर शाँतिकुँज ने अपनी प्रदर्शनी लगाई थी तथा प्रतिदिन आसन-ध्यान, प्रज्ञायोग का व्यावहारिक शिक्षण भी दिया। यहाँ निःशुल्क चिकित्सा परामर्श भी दिया गया। ‘स्वस्थ भारत-समर्थ भारत’ पर आयोजित एक कार्यशाला में केंद्रीय प्रतिनिधि ने भाग लिया एवं पैनेल डिस्कशन में गुरुसत्ता के विचार रखे। एक मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर द्वारा ‘बदलते युग में जीवनशैली क्या हो?’बदलते युग में जीवनशैली क्या हो?’ इस विषय पर प्रस्तुति दी गई। प्रज्ञापेय सभी के लिए प्रदर्शनी में उपलब्ध कराया गया था। वैश्वीकरण के दौर से गुजर रही दिल्ली महानगरी ने इस पेय के स्वाद को चखा व अपनी प्रज्ञा-संवर्द्धन हेतु नागरिक अपने साथ प्रज्ञा पेय के पैकेट्स लेकर गए।


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