पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन दर्शन समग्र वांग्मय

October 1998

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पूज्यवर ने अपनी सभी मानसपुत्रों, अनुयायियों के लिये मार्ग दर्शन एवं विरासत में जो कुछ लिखा वह अलभ्य ज्ञानामृत पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वांग्मय अपने घर में स्थापित करना ही चाहिये।

हमारे पिता हमारे गुरु हमसे क्या चाहते है उनकी आकांक्षा और सन्देश अपने पुत्रों के नाम पढ़िये वांग्मय में। उनकी बात को बिना सुने क्या उनके पुत्रों का चेन मिलेगा?

यदि आपको भगवान ने सम्पन्नता दी है तो ज्ञानदान कर पुण्य अर्जित करें। विशिष्ट अवसरों एवं पूर्वजों की स्मृति में पूज्यवर का वांग्मय विद्यालयों पुस्तकालयों में स्थापित कराये। आपका यह ज्ञानदान आने वाली पीढ़ियों तक को सन्मार्ग पर चलाएगा, जो भी इसे पढ़ेगा धन्य होगा। शास्त्रों में कहा है-

सर्वेशामेव दानानाँ ब्रह्मादानं विषिश्यते। वार्यत्र गोमहीवासस्तिलका त्रनसर्पिशाम्॥

जल अन्न गौ पृथ्वी वस्त्र तिल सुवर्ण और घी इन सबके दान में से ज्ञान का दान सबसे उत्तम है।

अन्नदानं महादानं विद्यादानं महत्तरम्। अन्नेन क्षणिका तृप्तिर्यावज्जीवं तु विद्यया॥

अन्नदान महादान है विद्यादान और बड़ा है। अन्न से क्षणिक तृप्ति होती है किन्तु विद्या से जीवनपर्यन्त तृप्ति होती है।

श्रेयान्द्रव्यमयाद्यज्ञाग्ज्ञानयज्ञः परंतप। सर्व कर्माखिलाँ पार्थ ज्ञाने परिसमाप्यते॥

हे परंतप! द्रव्ययज्ञ से ज्ञानयज्ञ श्रेष्ठ है क्योंकि जितने भी कर्म है वे सब ज्ञान में ही समाप्त है ज्ञानदान सर्वोपरि पुण्य है शुभ कार्य है।

जीवन दर्शन

1 युगद्रष्टा का जीवन दर्शन समग्र वांग्मय

68 पूज्यवर की अमृतवाणी-1

गायत्री कुण्डलिनी यज्ञ एवं संस्कार

9 गायत्री महाविद्या का तत्त्वदर्शन

10 गायत्री साधना का गुहा विवेचन

11 गायत्री साधना के प्रत्यक्ष चमत्कार

12 गायत्री की दैनिक एवं विशिष्ट अनुष्ठानपरक साधनाएँ

13 गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियाँ

14 गायत्री साधना की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

15 सावित्री कुण्डलिनी एवं तत्र

25 यज्ञ का ज्ञान विज्ञान

26 यज्ञ एक समग्र उपचार प्रक्रिया

33 षोडश संस्कार विवेचन

खण्ड

धर्म संस्कृति तथा तीर्थ

34 भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व

35 समस्त विश्व को भारत के अजस्र अनुदान

36 धर्मचक्र प्रवर्तन एवं लोकमानस का शिक्षण

37 तीर्थसेवन क्यों और कैसे?

धर्मतंत्र का दर्शन व मर्म

उपासना साधना एवं ईश्वर

2 जीवन देवता की साधना आराधना

3 उपासना समर्पण योग

4 साधना पद्धतियों का ज्ञान और विज्ञान

5 साधना से सिद्धि 1

साधना से सिद्धि

7 प्रसुप्ति से जाग्रत की ओर

8 ईश्वर कौन है? कहाँ है कैसा है?

19 शब्दब्रह्म नादब्रह्म

20 व्यक्तित्व विकास हेतु उच्चस्तरीय साधनाएँ

28 सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण

29 सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण 2

56 ईश्वर विश्वास और उसकी फलश्रुतियाँ

अवतार एवं उनसे प्रेरणा

30 मर्यादा पुरुषोत्तम राम

39 संस्कृति संजीवनी श्रीमद्भागवत एवं गीता

32 रामायण की प्रगतिशील प्रेरणाएँ

38 प्रज्ञोपनिषद

अध्यात्म का वैज्ञानिक विवेचन

4 साधना पद्धतियों का ज्ञान और विज्ञान

14 गायत्री साधना की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

19 शब्द ब्रह्मा

23 विज्ञान और अध्यात्म परस्पर पूरक

24 भविष्य का धर्म वैज्ञानिक धर्म

युग परिवर्तन एवं उज्ज्वल भविष्य

27 युग परिवर्तन कैसे और कब?

28 सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण 1

रहस्य मन तथा मस्तिष्क

16 मरणोत्तर जीवन तथ्य एवं सत्य

18 चमत्कारी विशेषताओं से भरा मानवी मस्तिष्क

21 अपरिमित संभावनाओं का आगार मानवी व्यक्तित्व

22 चेतन अचेतन एवं सुपर चेतन मन

55 दृश्य जगत की अदृश्य पहेलियाँ

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा

17 प्राण शक्ति एक दिव्य विभूति

26 यज्ञ एक समग्र उपचार प्रक्रिया

39 निरोग जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र

चिकित्सा उपचार के विविध आयाम

41 जीवेम शरदः षतम

.42 चिरयौवन एवं शाश्वत सौंदर्य

जीवन चरित्र दृष्टान्त संस्मरण एवं सूक्तियाँ

43 हमारी संस्कृति इतिहास के कीर्ति स्तम्भ

44 मरकर भी अमर हो गये जो

45 साँस्कृतिक चेतना उन्नायक सेवाधर्म के उपासक

50 महापुरुषों के अविस्मरणीय जीवन प्रसंग 1

51 महापुरुषों के अविस्मरणीय जीवन प्रसंग 2

52 विश्व वसुधा जिनकी सदा ऋणी रहेगी 67 प्रेरणाप्रद दृष्टान्त

69 विचारसार एवं सूक्तियां

70 विचार सार एवं सूक्तियाँ 2

व्यक्तिनिर्माण समाज निर्माण एवं राष्ट्रनिर्माण

21 अपरिमित संभावनाओं का आगार मानवी व्यक्तित्व

46 भव्य समाज का अभिनव निर्माण

49 शिक्षा एवं विद्या

54 मनुष्य में देवत्व का उदय

57 आत्मोत्कर्ष का आधार ज्ञान

49 प्रतिगामिता का कुचक्र ऐसे टूटेगा

60 विवाहोन्माद समस्या और समाधान

64 राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने?

65 सामाजिक नैतिक बौद्धिक क्रान्ति कैसे?

66 युगनिर्माण योजना दर्शन स्वरूप व कार्यक्रम

नारी जागरण एवं परिवार निर्माण

46 यत्र हस्यत् पूज्यंते रमन्तं तत्र देवता

48 समाज का मेरुदण्ड सशक्त परिवार तंत्र

61 गृहस्थ एक तपोवन

62 इक्कीसवीं सदी नारी सदी

63 हमारे बालक और बालिकाएँ


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