Quotation

October 1998

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हमारी कोई सुनता नहीं, कहते-कहते थक गए, पर सुनने वाले कोई सुनते नहीं अर्थात् उन पर कुछ असर ही नहीं होता-मेरी राय में इसमें सुनने वाले से अधिक दोष कहने वाले का है। कहने वाले करना नहीं जानते। वे अपनी ओर देखें। आत निरीक्षण कार्य की शून्यता की साक्षी दे देगा। वचन की सफलता का सारा दारोमदार कर्मशीलता में है। आप चाहे बोलें नहीं, थोड़ा ही बोले पर कार्य में जुट जाइए। आप थोड़े ही दिनों में देखेंगे कि लोग बिना कहे आपकी ओर खिंचे आ रहे है। अतः कहिए कम, करिए अधिक।


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