बाबू राजेन्द्रप्रसाद की कर्तव्यपरायणता (Kahani)

March 1998

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

25 जनवरी, 1960 की रात को राष्ट्रपति राजेन्द्रप्रसाद जी की बड़ी बहिन भगवती देवी का निधन हो गया। भगवती देवी राजेन्द्रबाबू के लिये माँ भी थीं और बहिन भी। वे ही एकमात्र घर की ऐसी सदस्य थीं, जो उन्हें उनके अदम्य आदर्शवाद और नरमी के लिए डाँट सकती थीं। भाई-बहिन के दृष्टिकोण में बड़ा अन्तर था, पर दोनों में था प्रगाढ़ स्नेह। बहिन यथार्थवादी थीं, भाई का मानव की नेकनीयती में अटूट विश्वास था। परन्तु दोनों ममता के बंधन में बंधे हुये थे। बहिन की मृत्यु से उन्हें इतना सदमा पहुँचा कि वे दख से बेसुध होकर रातभर मृत्युशैय्या के निकट बैठे रहे।

रात के आखिरी पहर में घर के किसी सदस्य ने उन्हें स्मरण कराया कि कल 26 जनवरी है और भारतीय गणतंत्र की दसवीं सालगिरह का दिन है, जिसमें उन्हें राष्ट्रपति की हैसियत से सलामी लेनी है। इतना सुनते ही सार्वजनिक कर्त्तव्य के निजी दुख को जैसे ढंक लिया।

अगले दिन वे सलामी की रस्म के दौरान घन्टों तक खड़े रहे। उनके चेहरे पर न दुख की रेखा थी, न थकान की क्लान्ति। सलामी की रस्म के उपरान्त वे घर लौटे बहिन की अंत्येष्टि के लिये अरथी के साथ यमुना तट तक गये। इसी कर्तव्यपरायणता ने तो बाबू राजेन्द्रप्रसाद जी को सबसे अधिक चाहा जाने वाला जनता का राष्ट्रपति बनाया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118