पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन दर्शन समग्र वाङ्मय

May 1997

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परमपूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने जीवन भर जो अपनी लेखनी से लिखा , औरों को प्रेरित कर उनसे सृजनात्मक लेखन करवाया, पुस्तकों-पत्रिकाओं में जो प्रकाशित हुआ, समय-समय पर उनने अमृतवाणी के माध्यम से जो विचारों की अभिव्यक्ति की, विचार सूक्तियाँ जो वे लिख गये या अनायास कभी कह गये तथा पत्रों के माध्यम से जो अंतरंग स्पर्श जन-जन को दिया, वह समग्र इस वाङ्मय के खण्डों में है। कुल 108 खण्डों में युग ऋषि का यद्यपि समग्र लेखन, वक्तृत्व एवं कृतित्व समाता नहीं है तथापि , अपनी ओर से सभी महत्वपूर्ण अंशों का इसमें लेने का प्रयास किया गया है ? अब तक प्रकाशित 70 खण्डों के नाम इस प्रकार है-

परिचायात्मक खण्डसमग्र वाङ्मय का परिचय

जीवन देवता की साधना-आराधना

उपासना-समर्पण योग

साधना पद्धतियों का ज्ञान और विज्ञान

साधना से सिद्धि-1

साधना से सिद्धि -2

प्रसुप्ति से जागृति की ओर

ईश्वर कौन है? कहाँ है? कैसा है?

गायत्री महाविद्या का तत्वदर्शन

गायत्री साधना का गुह्य विवेचन

गायत्री साधना के प्रत्यक्ष चमत्कार

गायत्री की दैनिक एवं विशिष्ट अनुष्ठान-परक साधनाएँ

गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां गायत्री साधना की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

सावित्री, कुण्डलिनी एवं तंत्र

मरणोत्तर जीवन : तथ्य एवं सत्य

प्राणशक्ति : एक दिव्य विभूति

चमत्कारी विशेषताओं से भरा मानवी मस्तिष्क

शब्द ब्रह्मनाद ब्रह्मा

व्यक्तित्व विकास हेतु उच्चस्तरीय साधनाएँ

अपरिमित संभावनाओं का आगार मानवी व्यक्तित्व

चेतन, अचेतन एवं सुपर चेतन मन

विज्ञान और अध्यात्म परस्पर पूरक

भविष्य का धर्मः वैज्ञानिक धर्म

यज्ञ का ज्ञान-विज्ञान

यज्ञः एक समग्र उपचार प्रक्रिया

यज्ञः एक समग्र उपचार प्रक्रिया

युग-परिवर्तन कैसे और कब ?

सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण-1

सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण-2

मर्यादा पुरुषोत्तम राम

संस्कृति-संजीवनी श्रीमद्भागवत् एवं गीता

रामायण की प्रगतिशील प्रेरणाएँ

षोडश संस्कार विवेचन

भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व

समस्त विश्व को भारत के अजस्र अनुदान

धर्मचक्र प्रवर्तन एवं लोकमानस का शिक्षण

तीर्थ सेवन : क्यों और कैसे?

प्रज्ञोपनिषद्

नीरोग जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र

चिकित्सा उपचार के विविध आयाम

जीवेम शरदः शतम्

चिरयौवन एवं शाश्वत सौंदर्य

हमारी संस्कृतिः इतिहास के कीर्ति स्तम्भ

मरकर भी अमर हो गये जो

सांस्कृतिक चेतना के उन्नायक : सेवाधर्म के उपासक

भव्य समाज का अभिनव निर्माण

यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता

समाज का मेरुदण्ड सशक्त परिवार तंत्र

शिक्षा एवं विद्या

महापुरुषों के अविस्मरणीय

जीवन-प्रसंग-1

महापुरुषों के अविस्मरणीय

जीवन-प्रसंग-2

विश्व वसुधा जिनकी सदा ऋणी रहेगी

धर्मतत्व का दर्शन व मर्म

मनुष्य में देवत्व का उदय

दृश्य जगत की अदृश्य पहेलियाँ

ईश्वर विश्वास और उसकी फलश्रुतियां

मनस्विता, प्रखरता और तेजस्विता

आत्मोत्कर्ष का आधार-ज्ञान

प्रतिगामिता का कुचक्र ऐसे टूटेगा

विवाहोन्माद : समस्या और समाधान

गृहस्थ : एक तपोवन

इक्कीसवीं सदी : नारी सदी

हमारी भावी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण

राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने ?

सामाजिक, नैतिक एवं बौद्धिक क्रान्ति कैसे ?

युग निर्माण योजना-दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम

पूज्यवर की अमृतवाणी-1

विचार सार एवं सूक्तियाँ-1

विचार सार एवं सूक्तियाँ-2

विचार सार एवं सूक्तियाँ-3

*समाप्त*


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