1940 में काली दैकास को हंगरी का सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज घोषित किया गया और जापान में होने वाले ओलम्पिक खेलों में सम्मिलित होने के लिए उसका चयन भी हो गया, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ जाने के कारण उसे युद्ध में जाना पड़ा, 1945 में युद्ध समाप्त हुआ और 1948 में होने वाले ओलम्पिक की तैयारियाँ शुरू हो गई, लेकिन एक मोटर दुर्घटना में टैकास अपना दाहिना हाथ गँवा बैठा। एक बार तो टैकास को अपनी सारी आशाएँ धूमिल होती लगीं, लेकिन उसने हिम्मत से काम लिया।
सन् 1948 में लंदन में ओलम्पिक खेलों का आयोजन हुआ, निशानेबाजी में प्रथम आए खिलाड़ी का दाहिनी हाथ नहीं था, दर्शक इस अद्भुत-खिलाड़ी को देखने के लिए उमड़ पड़े, बायें हाथ से निशानेबाजी की चैंपियनशिप जीतने वाला वह खिलाड़ी हंगरी निवासी काली टैकास ही था। मनोयोग ओर परिश्रम साथ रहे तो व्यक्ति कुछ भी कर गुजरने में सफल हो सकता है।