बिल्ली और मुर्गी (Kahani)

May 1997

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पालतू बिल्ली किसान का दूध छिपकर पी जाती। मुर्गी उसे टोकती हुई कहती-तुम्हारी नीयत बहुत खराब है। मालिक तुम्हें समय पर भोजन देता है, किंतु तुम चोरी की आदत नहीं छोड़ती। बिल्ली ने उसकी बात अनसुनी कर दी। किसान रोज दूध की चोरी होते देख सोच में पड़ जाता आखिर बिल्ली और मुर्गी के अतिरिक्त और कोई तो यहाँ है नहीं। लेकिन मैं तो दोनों को ही भरपेट खिलाता हूँ, फिर यह दूध कौन पी जाता है। हमें छिपकर देखना चाहिए।

पर बिल्ली काफी चालाक थी। वह हर बार ऐसे मौके की तलाश में रहती जब किसान और मुर्गी दोनों बाहर रहते। एक दिन मुर्गी ने बिल्ली को बाहर घूमने चलने के लिए कहा तो बिल्ली पेट-दर्द का बहाना बनाकर लेट गई। मुर्गी ने समझ लिया कि ये बहाना क्यों बनाया जा रहा है। जैसे ही मुर्गी ने घर से बाहर पैर रखा कि बिल्ली दूध पीने में लग गयी। मुर्गी ने वापस लौटकर सारा नजारा देखा और चिल्लाने लगी।

अब तो किसान ने बिल्ली को दूध पीते रँगे हाथों पकड़ लिया। बिल्ली गुस्से मेँ मुर्गी को खाने दौड़ी तो किसान ने बिल्ली को डण्डा मार-मार कर घर से निकाल दिया। तब से बिल्ली मुर्गी की जानी दुश्मन बनी हुई है। कपटी ठग और चोरों का भेद पर वे जान के दुश्मन बन जाते हैं।


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