एकबार शिवाजी का सेनापति मुगलों पर विजय प्राप्त करके लोटे। वह शिवाजी के पास गए और बोले- महाराज, मैं आपके लिए अनुपम भेंट लाया हूँ। यह कहकर उन्होने एक पालकी मँगवा कर उनके सामने रखवा दी। पालकी का दरवाजा हटाया गया तो शिवाजी ने देखा कि उसमें एक सौंदर्य की जीती-जागती प्रतिमा बैठी है। वह मुगल सेनापति की बेगम थी। शिवाजी को माजरा समझते देन न लगी।
शिवाजी ने बेगम से हाथ जोड़कर कहा, “आपके दर्शन से मैं धन्य हो गया,” माँ तुम कितनी सुन्दर हो।” इतना कहकर उन्होंने सेनापति को आज्ञा दी , “ बेगम को इज्जत से मुगल सेनापति तक पहुँचादो, शत्रु को नारी भी पूजनीय तथा माता के समान होती है। उसका अपमान वीर नहीं, कायर करते हैं, सच्चा वीर नारी में माता के दर्शन करता है।”