स्वार्थी पाता कम और खोता बहुत है। वासना किसी की तृप्त नहीं हुई। तृष्णा कोई पूरी न कर सका जिसे लालच ही दिखता है उसकी प्रगति के द्वार बन्द हैं ।
दुनिया में और सब चीजें भरी पड़ी है, पर चरित्रवान, दृढ़, निश्चयी और आदर्शवादी व्यक्तियों की कमी है। वे ढल सकें तो समझना चाहिए सारे अभाव दूर हो गये।